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ऐश्वर्या की चूत की धज्जियां उड़ा दी ...?

प्रेषक : बबलू कुमार

हैलो दोस्तों मेरे संबंध मेरी चाची के साथ हैं जिनका नाम ऐश्वर्या हैं। मैं अपनी चाची को खूब चौदता हूँ और जी भरकर गांड मारता हूँ। लेकिन मुझसे पहले भी उनका संबंध एक आदमी से रह चुका हैं उसी की कहानी आपको सुना रहा हूँ।

ऐश्वर्या एक घरेलू महिला हैं जिसकी उम्र लगभग ४५ साल की और कद ५.२ इंच हैं। उसका वजन अधिक हैं जिससे वह मोटी ज्यादा दिखती हैं। इसके बावजूद वह एक गोरी चिट्टी सेक्सी महिला हैं जिसे देखकर हर दीवाने का लंड खड़ा हो जाये। उसकी तीन लड़कियाँ तथा एक लड़का हैं। दो लड़कियों की शादी हो गई हैं तथा एक लड़की रक्षा जिसकी उम्र १९ साल तथा लड़के राजू की उम्र १५ साल हैं।

इस उम्र में भी ऐश्वर्या पर सेक्स का बुखार कम नहीं हुआ हैं उलटे और अधिक बढ गया हैं। ऐश्वर्या के पति रमाकांत का वजन भी ज्यादा हैं और अब उनमें वो बात नहीं रही जो जवानी में होती हैं। इसलिये ऐश्वर्या संतुष्ट नहीं होती हैं।

ऐश्वर्या अपने नाम के अनुरूप ही सजती संवरती हैं और किसी महारानी से कम नहीं लगती। आज ऐश्वर्या कुछ ज्यादा ही सज-संवर रही थी। पति ने पूछा तो बताया कि आज के दिन हम पहली बार मिले थे इसलिये सज-संवर रही हूँ। आज हम फिर हमारी सुहागरात की याद ताजा करेंगें।

रमाकांत मुस्कुराकर बोले- क्यों नहीं मेरी रानी। आज बहुत दिनों बाद हम सेक्स का मजा लेंगें।

ठीक हैं ठीक हैं ! पर जल्दबाजी मत करना। प्यार से रगड़ना मुझे ! वरना तुम पप्पी झप्पी लोगे और सो जाओगे। मेरी चूत प्यासी रह जायेगी।

अरे तुम चिंता मत करो ! आज मैं ताकत के कैप्सूल खा लूंगा और तुम्हें जी भर कर चौदूंगा।

दोनों हंसने लगे। रमाकांत ने आगे बढकर ऐश्वर्या के रसीले होंठों को चूम लिया। शाम होते होते ऐश्वर्या रमाकांत का इंतजार करने लगी। बच्चे ऐश्वर्या से पूछने लगे कि आज क्या बात हैं जो आप इतना सज संवरकर बैठी हैं। किसी पार्टी में जाना हैं क्या?

अरे नहीं बच्चों ! बस आज मेरा मन बहुत खुश हैं इसलिये थोड़ा सज संवर लिया! ऐश्वर्या बच्चो को समझाते हुए बोली।

पर रक्षा समझ गई कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली हैं।

रात में सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गये। ऐश्वर्या ने आज अपने कमरे में गुलाब जल छिड़क रखा था। भीनी-भीनी खुश्बू पूरे कमरे में महक रही थी। रमाकांत और ऐश्वर्या दोनों अपने बिस्तर पर बैठे बातें करने लगे।

ऐश्वर्या के हाथ रमाकांत के हाथों में थे। रमाकांत ने एक हाथ ऐश्वर्या के बालों में डाला और ऐश्वर्या के भीगे होंठों को चूसने लगे। रमाकांत ने ऐश्वर्या की साड़ी खोल दी। ऐश्वर्या ने भी तेजी दिखाई और रमाकांत के कपड़े खोल दिये। अब ऐश्वर्या सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी तो रमाकांत सिर्फ अण्डरवियर पहने थे। उनका लंड अण्डरवियर में से अपनी झलक दिखला रहा था। रमाकांत ने ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया। ऐश्वर्या पूरी तरह नंगी हो गई क्योंकि उसने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी। रमाकांत ऐश्वर्या के प्रत्येक अंग को चूमने लगे। ऐश्वर्या उत्तेजित होने लगी। रमाकांत ने ऐश्वर्या के बडे -बडे बूब्स को खूब चूसा। एक एक अंग को चूमते चूमते रमाकांत के होंठ ऐश्वर्या की चूत को चूसने लगे। ऐश्वर्या बुरी तरह उत्तेजित हो गई। ऐश्वर्या ने एक हाथ से रमाकांत की अण्डरवियर में हाथ डाला और उनका लंड पकड लिया।

ऐश्वर्या ने रमाकांत को उठाया और उनका लंड अपने मुंह में भर लिया। रमाकांत तड़पने लगे पर ऐश्वर्या और जोर-जोर से लंड चूसने लगी। रमाकांत को झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी और सारा वीर्य ऐश्वर्या के मुंह में भर दिया। ऐश्वर्या एक-एक बूंद चाट गई।

ऐश्वर्या ने रमाकांत के होंठों को अपने होंठो के बीच दबा लिये और जोर जोर से चूसने लगी। गर्दन से नीचे आने पर ऐश्वर्या ने रमाकांत के छोटे-छोटे निप्पल को बुरी तरह से चूस लिया। रमाकांत की तड़प बढ़ गई। ऐश्वर्या रमाकांत के शरीर को चूमते हुए फिर लंड तक पहुंच गई और ढीले लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी। बहुत देर चूसने के बाद रमाकांत का लंड फिर से खड़ा होने लगा। रमाकांत जोश में आ गये और ऐश्वर्या को बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड ऐश्वर्या की चूत में डाल दिया। रमाकांत धक्के पर धक्के लगाने लगे।

ऐश्वर्या को मजा आने लगा और वह कहने लगी- आज तो इस चूत की धज्जियां उड़ा दो मेरे सरकार ! फाड़ कर रख दो इसे !

इतना सुनते ही रमाकांत ने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू किये और सारा माल एक ही झटके में ऐश्वर्या की चूत में भर दिया ।

ऐश्वर्या अभी तक झड़ी नहीं थी। लेकिन रमाकांत का लंड ढीला हो चुका था। ऐश्वर्या फिर से चूदाने के मूड में थी इसलिये फिर से उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया। बहुत देर तक लंड चूसने के बाद भी लंड खड़ा नहीं हुआ। ऐश्वर्या फिर मन मारकर लेट गई। रमाकांत थक गये थे इसलिये उन्हें फटाफट नींद आ गई लेकिन ऐश्वर्या अभी भी प्यासी थी। उसने अपनी उंगलियों को ही चूत में डाल-डालकर अपना पानी निकाल लिया।

सुबह रमाकांत बडे फ्रेश लग रहे थे लेकिन ऐश्वर्या अनमनी सी लग रही थी। ऐश्वर्या ने रमाकांत से ज्यादा बात नहीं की और उन्हें खाना खिलाकर काम पर भेज दिया। दोनों बच्चे स्कूल चले गये। वह घर पर अकेली बोर होने लगी। वह बार-बार यहीं सोच रही थी कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जायें। इनका लंड तो अब डालते से ही झड़ जाता हैं। क्या किसी और से चूदवा लूं? लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था। आज पहली बार किसी पराये मर्द के लिये उसके मन में ख्याल आया था।

ऐश्वर्या अभी इसी सोच में पड़ी हुई सोफे पर लेटी थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी। ऐश्वर्या ने दरवाजा खोला तो सामने एक आदमी खड़ा था, जिसकी उम्र लगभग ५० साल की होगी। उसकी सफेद दाढ़ी थी तथा सिर पर बाल बहुत कम थे। उसने बताया कि रमाकांत जी ने उसे टॉयलेट की सफाई के लिये भेजा हैं।

ऐश्वर्या उस आदमी को टॉयलेट तक लेकर गई। ऐश्वर्या ने उसका नाम पूछा तो उसने अपने नाम कालू बताया। कालू अपने काम में लग गया। कुछ ही देर में उसका सारा काम हो गया।

काम होने के बाद कालू के कपडे गीले हो चुके थे। वह बाथरूम में गया और अपने शर्ट और पेंट उतारकर शॉवर में नहाने लगा। उसने दरवाजा आधा ही बंद किया था। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। वह नंगा होकर शॉवर का आनंद लेने लगा।

काम हुआ या नहीं, यह देखने के लिये ऐश्वर्या बाथरूम तक पहुंची। बाथरूम तक पहुंची तो उसके होश उड़ गये। कालू नंगा होकर नहा रहा था। उसका लंड देखकर उसकी सांसे तेज हो गई। कालू ने ऐश्वर्या को देख लिया था पर वह यह जता रहा था कि उसने उसे देखा ही नहीं। ऐश्वर्या से कुछ बोलते नहीं बनी। अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी।

कुछ देर बाद ऐश्वर्या संभली तो उसने कालू को बोला- यह तुम क्या कर रहे हो। तुम्हें सिर्फ सफाई के लिये बुलाया था, नहाने धोने के लिये नहीं।

कालू हकलाकर बोला- मुझे माफ कर दो मेमसाब ! मेरे कपड़े और बदन गंदे हो गये थे इसलिये सोचा कि दोनों को साफ कर लूं।

ऐश्वर्या बोली- ठीक हैं, ठीक हैं। जल्दी करो। मैं अपने बेडरूम में जा रही हूं। काम हो जाये तो पैसे ले जाना।

कालू- जी मेमसाब।

कालू मन ही मन खुश हो रहा था कि मेमसाब उससे नाराज नहीं हुई। हो न हो उसे भी लंड की चाहत जरूर होगी वरना इतनी देर में तो कोई भी उसे खरी खोटी सुनाता और घर से निकाल देता।

इधर ऐश्वर्या अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गई। उसके मन में कालू का नंगा शरीर ही दिख रहा था। वह अपने को काबू में नहीं रख पा रही थी। उसने अपने कपड़े खोले और गाउन पहन लिया ।

कालू नहाकर बाहर निकला। उसने कपड़े भी नहीं पहने और ऐश्वर्या के कमरे की ओर चला आया। अंदर ऐश्वर्या गाउन पहने अपने बिस्तर पर लेटी थी। वह आंखे बंद करके मन ही मन में कालू के बारे में सोच रही थी। कालू ने देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला हैं। उसने अंदर झांका तो ऐश्वर्या आंखे बंद करके लेटी थी।

इस अवस्था में देखकर उसके मन में भी सेक्स का बुखार चढ़ने लगा। उसका लंड तनतनाकर ७ इंच का हो गया। वह दबे पांव ऐश्वर्या तक गया और उसके होंठों पर होंठ रख दिये।

ऐश्वर्या बूरी तरह चौंक गई। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कालू आकर उसके होंठों को चूम लेगा। उसने सोचा कि कालू को डांटकर भगा दे लेकिन अपनी हवस पर काबू नहीं रख पाई और कालू से चिपक गई। कालू ने भी उसे बाहों में भर लिया और उसकें होंठों का रस चूसने लगा। ऐश्वर्या पर चूदवाने का नशा इस तरह चढ गया था कि वह एक भंगी के बदबूदार मुंह को अपने मुंह से लगाकर चूमाचाटी कर रही थी।

बहुत देर तक ऐश्वर्या के होंठों की मां चोदने के बाद कालू ने ऐश्वर्या का गाउन खोलकर उसे नंगा कर दिया। उसे ऐश्वर्या की बड़ी लेकिन प्यारी सी चूत दिखाई दी जो पूरी तरह क्लीन शेव्ड थी। कालू ने चूत को अपने होंठों से लगाकर बूरी तरह चूसने लगा। ऐश्वर्या पागल सी हो गई।

ऐश्वर्या इतनी उत्तेजित हो गई थी कि वह एक भंगी से भी चूदवाने को तैयार थी। कालू का लंड देखकर ऐश्वर्या खुश हो गई कि आज यह लंड उसकी प्यास बुझा देगा। कालू ने अपना लंड ऐश्वर्या के मुँह में दे दिया। कालू भी तड़प उठा पर यह सोचकर उसे अपनी जिंदगी पर गर्व होने लगा कि एक भंगी भी किसी अप्सरा को, चाहे वह मोटी ही क्यों न हो, चौद सकता हैं।

आज हवस के नशे में एक मालदार महिला ने अपनी इज्जत एक भंगी के हाथों में दे दी। ऐश्वर्या पूरी तरह गर्म हो गई थी। कालू उसे अब अपना सब कुछ नजर आ रहा था।

ऐश्वर्या - आह कालू। अब देर मत करों। अपना लंड मेरी चूत में डालो और मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा ।

कालू ने ऐश्वर्या की चूत का निशाना लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड ऐश्वर्या की चूत में डाल दिया। ऐश्वर्या चीख पड़ी। आह कमीने धीरे से डाल ! मार डालेगा क्या !

कालू तो पागल हो गया था। इस स्वर्गीय आनंद में वह जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। ऐश्वर्या का पूरा शरीर हिलने लगा। इतना आनंद तो उसे रमाकांत से चुदाई कराने पर भी कभी नहीं आया। कालू ने पूरी तरह से ऐश्वर्या की चूत को भौंसड़ा बना दिया। आज ऐश्वर्या तीन बार झड़ चुकी थी। कालू ने तेज झटके मारे और सारा माल ऐश्वर्या की चूत में डाल दिया। ऐश्वर्या अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।

दोनों एक साथ चिपककर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद कालू फिर चालू हो गया। उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने ऐश्वर्या को उलटा लिटाया और उसकी गांड के छेद पर लंड रखकर धक्का लगाया। ऐश्वर्या दर्द से चीखने लगी। दो तीन झटको में कालू ने लंड ऐश्वर्या की गांड में घुसा दिया।

ऐश्वर्या दर्द से चीख रही थी। कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा। कालू ने ५ मिनट तक ऐश्वर्या की गांड मारी फिर तेज धक्कों के साथ अपने वीर्य से ऐश्वर्या की गांड को भर दिया। कुछ देर तक कालू और ऐश्वर्या चिपककर लेटे रहे। फिर कालू उठकर जाने लगा।

कालू ने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लिये। कालू जाने लगा तो ऐश्वर्या ने कालू को होंठों पर लंबा चुम्मा दिया और ढेर सारे पैसे भी दिये। कालू खुशी-खुशी चला गया और ऐश्वर्या पूरी तरह संतुष्ट होकर अपने कमरे में जाकर मीठी नींद में सो गई ।

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कला मोटा

कला लंड.....

प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार


मैं अपनी चालीस की उम्र पार कर चुकी थी। पर तन का सुख मुझे बस चार-पांच साल ही मिला। मैं चौबीस वर्ष की ही थी कि मेरे पति एक बस दुर्घटना में चल बसे थे। मेरी बेटी की शादी मैंने उसके अठारह वर्ष होते ही कर दी थी। अब मुझे बहुत अकेलापन लगता था।

पड़ोसी सविता का जवान लड़का मोनू अधिकतर मेरे यहाँ कम्प्यूटर पर काम करने आता था। कभी कभी तो उसे काम करते करते बारह तक बज जाते थे। वो मेरी बेटी वर्षा के कमरे में ही काम करता था। मेरा कमरा पीछे वाला था ... मैं तो दस बजे ही सोने चली जाती थी।

एक बार रात को सेक्स की बचैनी के कारण मुझे नींद नही आ रही थी व इधर उधर करवटें बदल रही थी। मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर रखा था और चूत को हौले हौले सहला रही थी। कभी कभी अपने चुचूकों को भी मसल देती थी। मुझे लगा कि बिना अंगुली घुसाये चैन नहीं आयेगा। सो मैं कमरे से बाहर निकल आई।

मोनू अभी तक कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। मैंने बस यूं ही जिज्ञासावश खिड़की से झांक लिया। मुझे झटका सा लगा। वो इन्टरनेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख रहा था। मैं भी उस समय हीट में थी, मैं शान्ति से खिड़की पर खड़ी हो गई और उसकी हरकतें देखने लग गई। उसका हाथ पजामे के ऊपर लण्ड पर था और धीरे धीरे उसे मल रहा था।

ये सब देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरे हाथ अनायास ही चूत पर चले गये, और सहलाने लग गये। कुछ ही समय में उसने पजामा नीचे सरका कर अपना नंगा लण्ड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा खोल कर मुठ मारने लगा। मन कह रहा था कि तेरी प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार है, मुठ काहे मारता है?

तभी उसका वीर्य निकल पड़ा और उसने अपने रूमाल से लण्ड साफ़ कर लिया। अब वो कम्प्यूटर बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था। मैं फ़ुर्ती से लपक कर अपने कमरे में चली आई। उसने कमरा बन्द किया और बाहर चला गया।

उसके जाते ही मेरे खाली दिमाग में सेक्स उभर आया। मेरा जिस्म जैसे तड़पने लगा। मैंने जैसे तैसे बाथरूम में जा कर चूत में अंगुली डाल कर अपनी अग्नि शान्त की। पर दिल में मोनू का लण्ड मेरी नजरों के सामने से नहीं हट पा रहा था। सपने में भी मैंने उसके लण्ड को चूस लिया था। अब मोनू को देख कर मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मुझे लगा कि सोनू को भी कोई लड़की चोदने के लिये नहीं मिल रही है, इसीलिये वो ये सब करता है। मतलब उसे पटाया जा सकता है। सुबह तक उसका लण्ड मेरे मन में छाया रहा। मैंने सोच लिया था कि यूं ही जलते रहने से तो अच्छा है कि उसे जैसे तैसे पटा कर चुदवा लिया जाये, बस अगर रास्ता खुल गया तो मजे ही मजे हैं।

मोनू सवेरे ही आ गया था। वो सीधे कम्प्यूटर पर गया और उसने कुछ किया और जाने लगा। मैंने उसे चाय के लिये रोक लिया। चाय के बहाने मैंने उसे अपने सुडौल वक्ष के दर्शन करा दिये। मुझे लगा कि उसकी नजरें मेरे स्तनों पर जम सी गई थी। मैंने उसके सामने अपने गोल गोल चूतड़ों को भी घुमा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की और मुझे लगा कि मुझे उसे आकर्षित में सफ़लता मिल रही है। मन ही मन में मैं हंसी कि ये लड़के भी कितने फ़िसलपट्टू होते हैं। मेरा दिल बाग बाग हो गया। लगा कि मुझे सफ़लता जल्दी ही मिल जायेगी।

मेरा अन्दाजा सही निकला। दिन में आराम करने के समय वो चुपके से आ गया और मेरी खिड़की से झांक कर देखा। उसकी आहट पा कर मैं अपना पेटीकोट पांवों से ऊपर जांघों तक खींच कर लेट गई। मेरे चिकने उघाड़े जिस्म को वो आंखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखता रहा, फिर वो कम्प्यूटर के कमरे में आ गया। ये सब देख कर मुझे लगा चिड़िया जाल में उलझ चुकी है, बस फ़न्दा कसना बाकी है।

रात को मैं बेसब्री से उसका इन्तज़ार करती रही। आशा के अनुरूप वो जल्दी ही आ गया। मैं कम्प्यूटर के पास बिस्तर पर यूँ ही उल्टी लेटी हुई एक किताब खोल कर पढने का बहाना करने लगी। मैंने पेटीकोट भी पीछे से जांघो तक उठा दिया था। ढीले से ब्लाऊज में से मेरे स्तन झूलने लगे और उसे साफ़ दिखने लगे। ये सब करते हुये मेरा दिल धड़क भी रहा था, पर वासना का जोर मन में अधिक था।

मैंने देखा उसका मन कम्प्यूटर में बिलकुल नहीं था, बस मेरे झूलते हुये सुघड़ स्तनों को घूर रहा था। उसका पजामा भी लण्ड के तन जाने से उठ चुका था। उसके लण्ड की तड़प साफ़ नजर आ रही थी। उसे गर्म जान कर मैंने प्रहार कर ही दिया।

"क्या देख रहे हो मोनू...?"

"आं ... हां ... कुछ नहीं रीता आण्टी... !" उसके चेहरे पर पसीना आ गया था।

"झूठ... मुझे पता है कि तुम ये किताब देख रहे थे ना ......?" उसके चेहरे की चमक में वासना साफ़ नजर आ रही थी।

वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मेरे पास बिस्तर के नजदीक आ गया।

"आण्टी, आप बहुत अच्छी हैं, एक बात कहूँ ! आप को प्यार करने का मन कर रहा है।" उसके स्वर में प्यार भरी वासना थी।

मैंने उसे अपना सर घुमा कर देखा,"आण्टी हूँ मैं तेरी, कर ले प्यार, इसमे शर्माना क्या..."

वो धीरे से मेरी पीठ पर सवार हो गया और पीछे से लिपट पड़ा। उसकी कमर मेरे नितम्बो से सट गई। उसका लण्ड मेरे कोमल चूतड़ों में घुस गया। उसके हाथ मेरे सीने पर पहुंच गये। पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा। भोला कबूतर जाल में उलझ कर तड़प रहा था। मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई गढ़ जीत लिया हो।
मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली, उसका लण्ड गाण्ड में फ़िट करने की उसे मनमानी करने में सहायता करने लगी।

"बस बस, बहुत हो गया प्यार ... अब हट जा..." मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया था।

"नहीं रीता आण्टी, बस थोड़ी सी देर और..." उसने कुत्ते की भांति अपने लण्ड को और गहराई में घुसाने की कोशिश की। मेरी गाण्ड का छेद भी उसके लण्ड को छू गया। उसके हाथ मेरी झूलती हुई चूंचियों को मसलने लगे, उसकी सांसें तेज हो गई थी। मेरी सांसे भी धौकनीं की तरह चलने लगी थी। दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगा कि मुझे चोद ही डालेगा।

"बस ना... मोनू ...तू तो जाने क्या करने लगा है ...ऐसे कोई प्यार किया जाता है क्या ? ...चल हट अब !" मैंने प्यार भरी झिड़की दी उसे। वास्तव में मेरी इच्छा थी कि बस वो मुझे पर ऐसे ही चढ़ा रहे और अब मुझे चोद दे... मेरी झिड़की सुन कर वो मेरी पीठ पर से उतर गया। उसके लण्ड का बुरा हाल था। इधर मेरी चूंचियां, निपल सभी कड़क गये थे, फ़ूल कर कठोर हो गये थे।

"तू तो मेरे से ऐसे लिपट गया कि जैसे मुझे बहुत प्यार करता है ?"

"हां सच आण्टी ... बहुत प्यार करता हूँ..."

"तो इतने दिनों तक तूने बताया क्यों नहीं?"

"वो मेरी हिम्मत नहीं हुई थी..."उसने शरमा कर कहा।

"कोई बात नहीं ... चल अब ठीक से मेरे गाल पर प्यार कर... बस... आजा !" मैं उसे अधिक सोचने का मौका नहीं देना चाहती थी।

उसने फिर से मुझे जकड़ सा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। तभी उसके होंठ मेरे होठों से चिपक गये। उसने अपना लण्ड उभार कर मेरी चूत से चिपका दिया।

मेरे दिल के तार झनझना गये। जैसे बाग में बहार आ गई। मन डोल उठा। मेरी चूत भी उभर कर उसके लण्ड का उभार को स्पर्श करने लगी। मैंने उसकी उत्तेजना और बढ़ाने के लिये उसे अब परे धकेल दिया। वो हांफ़ता सा दो कदम दूर हट गया।

मुझे पूर्ण विश्वास था कि अब वो मेरी कैद में था।

"मोनू, मैं अब सोने जा रही हूं, तू भी अपना काम करके चले जाना !" मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कमरे के बाहर चल दी। इस बार मेरी चाल में बला की लचक आ गई थी, जो जवानी में हुआ करती थी।

कमरे में आकर मैंने अपनी दोनों चूंचियाँ दबाई और आह भरने लगी। पेटीकोट में हाथ डाल कर चूत दबा ली और लेट गई। तभी मेरे कमरे में मोनू आ गया। इस बार वो पूरा नंगा था। मैं झट से बिस्तर से उतरी और उसके पास चली आई।

"अरे तूने कपड़े क्यों उतार दिये...?"

"आ...आ... आण्टी ... मुझे और प्यार करो ..."

"हां हां, क्यों नहीं ... पर कपड़े...?"

"आण्टी... प्लीज आप भी ये ब्लाऊज उतार दो, ये पेटीकोट उतार दो।" उसकी आवाज जैसे लड़खड़ा रही थी।

"अरे नहीं रे ... ऐसे ही प्यार कर ले !"

उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझसे लिपट गया।

"आण्टी ... प्लीज ... मैं आपको ... आपको ... अह्ह्ह्ह्... चोदना चाहता हूं !" वो अपने होश खो बैठा था।

"मोनू बेटा, क्या कह रहा है ..." उसके बावलेपन का फ़ायदा उठाते हुये मैंने उसका तना हुआ लण्ड पकड़ लिया।

"आह रीता आण्टी ... मजा आ गया ... इसे छोड़ना नहीं ... कस लो मुठ्ठी में इसे..."

उसने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और लण्ड को मेरी तरफ़ उभार दिया।

मैंने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया। मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा। आखिर मैंने उसे फ़ंसा ही लिया। बस अब उसकी मदमस्त जवानी का मजा उठाना था। बरसों बाद मेरी सूनी जिंदगी में बहार आई थी। मैंने दूसरे हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया, वह जाने कब नीचे सरक गया। मैंने मोनू को बिस्तर के पास ही खड़ा कर दिया और खुद बिस्तर पर बैठ गई। अब उसका लौड़ा मैंने फिर से मुठ्ठी में भरा और उसे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। वो जैसे चीखने सा लगा। अपना लण्ड जोर जोर से हाथ में मारने लगा। तभी मैंने उसे अपने मुख में ले लिया। उसकी उत्तेजना बढ़ती गई। मेरे मुख मर्दन और मुठ मारने पर उसे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसने अपना वीर्य उगल दिया। जवानी का ताजा वीर्य ...

सुन्दर लण्ड का माल ... लाल सुपाड़े का रस ... किसे नसीब होता है ... मेरे मुख में पिचकारियां भरने लगी। पहली रति क्रिया का वीर्य ... ढेर सारा ... मुँह में ... हाय ... स्वाद भरा... गले में उतरता चला गया। अन्त में जोर जोर से चूस कर पूरा ही निकाल लिया।

सब कुछ शान्त हो गया। उसने शरम के मारे अपना चेहरा हाथों में छिपा लिया।

मैंने भी ये देख कर अपना चेहरा भी छुपा लिया।

"आण्टी... सॉरी ... मुझे माफ़ कर देना ... मुझे जाने क्या हो गया था।" उसने प्यार से मेरे बालों में हाथ फ़ेरते हुये कहा।

मैं उसके पास ही बैठ गई। अपने फ़ांसे हुये शिकार को प्यार से निहारने लगी।

"मोनू, तेरा लण्ड तो बहुत करारा है रे...!"

"आण्टी ... फिर आपने उसे भी प्यार किया... आई लव यू आण्टी!"

मैंने उसका लण्ड फिर से हाथ में ले लिया।

"बस आंटी, अब मुझे जाने दीजिये... कल फिर आऊंगा" उसे ये सब करने से शायद शर्म सी लग रही थी।

वो उठ कर जाने लगा, मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा खड़ी हुई और उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी। उसने मेरी चूत और जिस्म को एक बार निहारा और कहा,"एक बार प्यार कर लो ... आप को यूँ छोड़ कर जाने को मन नहीं कर रहा !"

मैंने अपनी नजरें झुका ली और पास में रखा तौलिया अपने ऊपर डाल लिया। उसका लण्ड एक बार फिर से कड़क होने लगा। वो मेरे नजदीक आ गया और मेरी पीठ से चिपक गया। उसका बलिष्ठ लण्ड मेरी चूतड़ की दरारों में फ़ंसने लगा। इस बार उसके भारी लण्ड ने मुझ पर असर किया... उसके हाथों ने मेरी चूंचियां सम्भाल ली और उसका मर्दन करने लगे। अब वह मुझे एक पूर्ण मर्द सा नजर आने लगा था। मेरा तौलिया छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।

"क्या कर रहे हो मोनू..."

"वही जो ब्ल्यू फ़िल्म में होता है ... आपकी गाण्ड मारना चाहता हू ... फिर चूत भी..."

"नहीं मोनू, मैं तेरी आण्टी हू ना ..."

"आण्टी, सच कहो, आपका मन भी तो चुदने को कर रहा है ना?"

"हाय रे, कैसे कहूँ ... जन्मों से नहीं चुदी हूँ... पर प्लीज आज मुझे छोड़ दे..."

"और मेरे लण्ड का क्या होगा ... प्लीज " और उसका लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में दबाव डाल दिया।

"सच में चोदेगा... ? हाय ... रुक तो ... वो क्रीम लगा दे पहले, वर्ना मेरी गाण्ड फ़ट जायेगी !"

उसने क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में लगा दी और अंगुली गाण्ड में चलाने लगा। मुझे तेज खुजली सी हुई।

"मार दे ना अब ... खुजली हो रही है।"

मोनू ने लण्ड दरार में घुसा कर छेद तक पहुंचा दिया और मेरा छेद उसके लण्ड के दबाव से खुलने लगा और फ़क से अन्दर घुस पड़ा।

"आह मेरे मोनू ... गया रे भीतर ... अब चोद दे बस !"

मोनू ने एक बार फिर से मेरे उभरे हुये गोरे गोरे स्तनों को भींच लिया। मेरे मुख से आनन्द भरी चीख निकल गई। मैंने झुक कर मेज़ पर हाथ रख लिया और अपनी टांगें और चौड़ा दी। मेरी चिकनी गाण्ड के बीच उसका लण्ड अन्दर-बाहर होने लगा। चुदना बड़ा आसान सा और मनमोहक सा लग रहा था। वो मेरी कभी चूंचियां निचोड़ता तो कभी मेरी गोरी गोरी गाण्ड पर जोर जोर से हाथ मारता।

उसक सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद की चमड़ी को बाहर तक खींच देता था और फिर से अन्दर घुस जाता था। वो मेरी पीठ को हाथ से रगड़ रगड़ कर और रोमांचित कर रहा था। उसका सोलिड लण्ड तेजी से मेरी गाण्ड मार रहा था। कभी मेरी पनीली चूत में अपनी अंगुली घुसा देता था। मैं आनन्द से निहाल हो चुकी थी। तभी मुझे लगा कि मोनू कहीं झड़ न जाये। पर एक बार वो झड़ चुका था, इसलिये उम्मीद थी कि दूसरी बार देर से झड़ेगा, फिर भी मैंने उसे चूत का रास्ता दिखा दिया।

"मोनू, बस मेरी गाण्ड को मजा गया, अब मेरी चूत मार दो ..." उसके चहरे पर पसीना छलक आया था। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी। उसने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो उसका लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो चुका था। उसे देखते ही मेरी चूत उसे खाने के लिये लपलपा उठी।

"मोनू मार दे मेरी चूत ... हाय कितना मदमस्त हो रहा है ... दैय्या रे !"

"आन्टी, जरा पकड़ कर सेट कर दो..." उसकी सांसें जैसे उखड़ रही थी, वो बुरी तरह हांफ़ने लगा था, उसके विपरीत मुझे तो बस चुदवाना था। तभी मेरे मुख से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई। मेरे बिना सेट किये ही उसका लण्ड चूत में प्रवेश कर गया था। उसने मेरे बाल खींच कर मुझे अपने से और कस कर चिपटा लिया और मेरी चूत पर लण्ड जोर जोर से मारने लगा। बालों के खींचने से मैं दर्द से बिलबिला उठी। मैं छिटक कर उससे अलग हो गई। उसे मैंने धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और उससे जोंक की तरह उस पर चढ़ कर चिपक गई। उसके कड़कते लण्ड की धार पर मैंने अपनी प्यासी चूत रख दी और जैसे चाकू मेरे शरीर में उतरता चला गया। उसके बाल पकड़ कर मैंने जोर लगाया और उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। उसने मदहोशी में मेरी चूंचियां जैसे निचोड़ कर रख दी। मैं दर्द से एक बार फिर चीख उठी और चूत को उसके लण्ड पर बेतहाशा पटकने लगी। मेरी अदम्य वासना प्रचण्ड रूप में थी। मेरे हाथ भी उसे नोंच खसोट रहे थे, वो आनन्द के मारे निहाल हो रहा था, अपने दांत भींच कर अपने चूतड़ ऊपर की ओर जोर-जोर से मार रहा था।

"मां कसम, मोनू चोद मेरे भोसड़े को ... साले का कीमा बना दे ... रण्डी बना दे मुझे... !"

"पटक, हरामजादी ... चूत पटक ... मेरा लौड़ा ... आह रे ... आण्टी..." मोनू भी वासना के शिकंजे में जकड़ा हुआ था। हम दोनों की चुदाई रफ़्तार पकड़ चुकी थी। मेरे बाल मेरे चेहरे पर उलझ से गये थे। मेरी चूत उसके लण्ड को जैसे खा जाना चाहती हो। सालों बाद चूत को लण्ड मिला था, भला कैसे छोड़ देती !

वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल रहा था, जबरदस्त ताकत थी उसमें, मेरी चूत में जोर की मिठास भरी जा रही थी। तभी जैसे आग का भभका सा आया ... मैंने अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया... लण्ड चूत की गहराई में जोर से गड़ने लगा... तभी चूत कसने और ढीली होने लगी। लगा मैं गई... उधर इस दबाव से मोनू भी चीख उठा और उसने भी अपने लण्ड को जोर से चूत में भींच दिया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मैं भी झड़ रही थी। जैसे ठण्डा पानी सा हम दोनों को नहला गया। हम दोनों एक दूसरे से जकड़े हुये झड़ रहे थे। हम तेज सांसें भर रहे थे। हम दोनों का शरीर पसीने में भीग गया था। उसने मुझे धीरे से साईड में करके अपने नीचे दबा लिया और मुझे दबा कर चूमने लगा। मैं बेसुध सी टांगें चौड़ी करके उसके चुम्बन का जवाब दे रही थी। मेरा मन शान्त हो चुका था। मैं भी प्यार में भर कर उसे चूमने लगी थी। लेकिन हाय रे ! जवानी का क्या दोष ... उसका लण्ड जाने कब कड़ा हो गया था और चूत में घुस गया था, वो फिर से मुझे चोदने लगा था।

मैं निढाल सी चुदती रही ... पता नहीं कब वो झड़ गया था। तब तक मेरी उत्तेजना भी वासना के रूप में मुझ छा गई थी। मुझे लगा कि मुझे अब और चुदना चाहिये कि तभी एक बार फिर उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और चुदती रही। कुछ देर में हम दोनों झड़ गये। मुझे अब कमजोरी आने लगी थी। मुझ पर नींद का साया मण्डराने लगा था। आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।

"मोनू, बस अब छो ... छोड़ दे... कल करेंगे ...!" पर मुझे नहीं पता चला कि उसने मुझे कब तक चोदा, मैं गहरी नींद में चली गई थी।

सुबह उठी तो मेरा बदन दर्द कर रहा था। भयानक कमजोरी आने लगी थी। मैं उठ कर बैठ गई, देखा तो मेरे बिस्तर पर वीर्य और खून के दाग थे। मेरी चूत पर खून की पपड़ी जम गई थी। उठते ही चूत में दर्द हुआ। गाण्ड भी चुदने के कारण दर्द कर रही थी। मोनू बिस्तर पर पसरा हुआ था। उसके शरीर पर मेरे नाखूनों की खरोंचे थी। मैं गरम पानी से नहाई तब मुझे कुछ ठीक लगा। मैंने एक एण्टी सेप्टिक क्रीम चूत और गाण्ड में मल ली।

मैंने किचन में आकर दो गिलास दूध पिया और एक गिलास मोनू के लिये ले आई।

मेरी काम-पिपासा शान्त हो चुकी थी, मोनू ने मुझे अच्छी तरह चोद दिया था। कुछ ही देर में मोनू जाग गया, उसको भी बहुत कमजोरी आ रही थी। मैंने उसे दूध पिला दिया। उसके जिस्म की खरोंचों पर मैंने दवाई लगा दी थी। शाम तक उसे बुखार हो आया था। शायद उसने अति कर दी थी...।

घोड़ी बना कर गांड में लंड


प्रेषक : राकेश रंजन

दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते है कि मैं चंदा और उसकी बेटी छवि दोनों की चूत और गांड दोनों चोद चुका हूँ। अब मैं दोनों को एक साथ चोदना चाह रहा था जिससे कि मैं जब चाहूँ किसी की गांड या चूत में अपना लंड पेल सकूँ। यह सोच कर मैं समय की इंतजार करने लगा। शायद ऊपर वाले को मुझ पर जल्दी ही तरस आ गया।

छवि का फोन आया कि उसकी मम्मी अभी बाहर से नहीं आई है और उसके चूत में खुजली हो रही है जो मेरे लंड को अपने अंदर लेकर ही ठीक होगी। मैं छवि की चूत और गांड में अपने लंड पेलने को पहले से ही तैयार था, केवल उसके फोन का इंतजार कर रहा था कि कब छवि का फोन आये और मैं अपना सात इंच लंड उसकी चूत में पेल दूँ।

खैर समय पर मैं उसके दरवाजे पर था। दर्वाजे पर घण्टी बजाते ही दरवाजा खुला,छवि ने ही आकर दरवाजा खोला। दरवाजा तो छवि ने खोला लेकिन उसके सेक्सी बदन को देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई। उस साली ने केवल एक गाउन अपने बदन पर डाल रखा था। मेरा मन किया कि अभी इसकी गाउन नोच कर हटा दूँ और इसके चुचियों को मसल डालूँ, लेकिन ऐसा कर मैं अपना खेल ख़राब करना नहीं चाहता था। आखिर इसकी चूत और गांड मुझसे ही चुदने वाली थी।

दरवाजा बंद कर के छवि मुस्कुराते हुई आकर मुझसे लिपट गई। मेरे होंठ उसके होंठ का और उसके होंठ मेरे होंठ का स्वाद लेने लगे। दस मिनट चूमा-चाटी करने के बाद मुझसे अलग हुई तो मेरे हाथ छवि की कमर पर थे। दोनों एक साथ आगे चल दिए। सोफ़े पर बैठ कर छवि मेरी पैंट की जिप खोल केर मेरे लंड को चूसने लगी। शायद उसे चुदवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी। मैं भी जल्दी में था,फटाफट मैंने भी उसे गरम करने के इरादे से अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी,तुंरत ही उसकी सेक्सी आवाज आने लगी. अह....अह....आह...... मुझे चोद दो ....वोह ......अह ........आह......

मैंने भी फटाफट अपना लंड उसकी चूत की सीध में लाकर जोर का धक्का मारा जिससे उसकी चूत को फाड़ता हुआ मेरा लंड आधे से ज्यादा अंदर था।

उसके मुँह से निकल गई- उई माँ ...............

छवि अभी संभल भी नहीं पाई थी कि दूसरे धक्के से उसकी चूत की गहराई को मेरे लंड ने नाप लिया। उसके मुँह से निकला- हाय मैं .... मर गई अह.......आह.......

फिर तो आराम से धीरे धीरे चूत की आवाज फचा फच आने लगी। दोनों मस्ती में मजा लेकर एक दूसरे का साथ देने लगे। आधा घंटा चुदाई के बाद छवि की चूत मेरे वीर्य से लबलबा गई। दस मिनट तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, जब छवि अलग हुई तो बोली- मैं बाथ रूम रही हूँ !

मैं बोला- डार्लिंग, मैं भी चलता हूँ !

वो समझ गई कि मैं आज फिर उसका गांड में अपना लंड पेलूँगा। वो मुस्कुरा कर आगे और मैं उसके पीछे पीछे......

दोनों एक साथ नहा रहे थे, कभी मैं उसकी चुचियों को दबाता, कभी वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसती। फिर उसे घोड़ी बना कर उसकी गांड में मैंने अपना लंड पेल दिया। जिसे थोड़ी सी परेशानी के साथ वो झेल गई।

मैं उसकी गांड में अभी चोद ही रहा था कि डोर-बेल बजने की आवाज आई। हम दोनों एक दूसरे का चेहरा देखने लगे।

रात के 11 बजे कौन आ सकता है?

उसके होश उड़ रहे रहे थे !

कहीं उसकी मम्मी चंदा तो नहीं आ गई?

उसने तौलिया डाला और जाकर दरवाज़ा खोला।

सामने चंदा खड़ी थी। छवि की बोलती बंद !

मैं बाथरूम में फंस गया। काफी सोच विचार कर मैं सामने आने को तैयार हो गया। मेरा क्या होगा- ज्यादा से ज्यादा चिल्लाएगी- पूछेगी कि मेरी बेटी को क्यों चोदा ?

तो मैं सारा मामला सॉरी बोल कर खत्म करके निकल जाऊंगा।

जब मुझे चंदा ने देखा तो मेरे सोचने से उल्टा हुआ।

वो साली रंडी बोली- मुझे पहले ही शक था कि तुम मुझे ऐसे ही मिलोगे !

फिर छवि की तरफ देख कर बोली- कुछ दवाई ले कर चुदवा रही है या ऐसे ही ?

छवि ने ना में सर हिलाया, चंदा ने दवाई लाकर दी और बोली- इस उम्र में यह सब आम बात है, लेकिन होशियारी से करो !

फिर मेरी जान में जान आई। फिर मैं छेड़खानी पर आ गया। अब तो माँ-बेटी दोनों को चोदने का रास्ता साफ था।

चंदा थकी हुई थी, वो बोली- तुम लोग अभी मजे करो ! मैं सुबह मिलती हूँ।

यह कह कर चंदा चली गई। अब हम बिना किसी डर के चुदम-चुदाई करने लगे। रात में मैंने छवि को तीन बार चोदा। सुबह चंदा, मैं और छवि नाश्ते के समय मिले, हम तीनों मुस्कुरा रहे थे। नाश्ता करने के बाद तीनों का ग्रुप-सेक्स का खेल शुरु हुआ। अब माँ बेटी और मैं तीनों नंगे थे।

मेरा लंड कभी माँ चूसती तो कभी उसकी बेटी छवि चूसती। तीनों के मुँह से बस निकल रही थी तो अह..... आह..... ओह...... ओह....आह..

फिर बारी-बारी से दोनों की गांड और चूत दो-दो बार मैंने चोदी।

ग्रुप सेक्स का मजा ही कुछ और है। जब मैं चलने लगा तो मेरी जेब में मेरामेहनताना था।

दिल में इस बात की खुशी थी कि घर में चाहे कोई भी हो, मैं बेधड़क आकर उसे चोद सकता हूँ।

ऐसी चिकनी चूत नहीं देखी

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