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चल मादरचोद... घुसा दे अपना लण्ड


भाभी, भैया और मैं मुम्बई में रहते थे। मैं उस समय पढ़ता था। भैया अपने बिजनेस में मस्त रहते थे और खूब कमाते थे। मुझे तब जवानी चढ़ी ही थी, मुझ तो सारी दुनिया ही रंगीली नजर आती थी। जरा जरा सी बात पर लण्ड खड़ा हो जाता था। छुप छुप कर इन्टरनेट पर नंगी तस्वीरे देखता था और अश्लील पुस्तकें पढ़ कर मुठ मारता था। घर में बस भाभी ही थी, जिन्हें आजकल मैं बड़ी वासना भरी नजर से देखता था। उनके शरीर को अपनी गंदी नजर से निहारता था, भले ही वो मेरी भाभी क्यो ना हो, साली लगती तो एक नम्बर की चुद्दक्कड़ थी।
क्या मस्त जवान थी, बड़ी-बड़ी हिलती हुई चूंचियां ! मुझे लगता था जैसे मेरे लिये ही हिल रही हों। उसके मटकते हुये सुन्दर कसे हुये गोल चूतड़ मेरा लण्ड एक पल में खड़ा कर देते थे।
जी हां ... ये सब मन की बातें हैं ... वैसे दिल से मैं बहुत बडा गाण्डू हूँ ... भाभी सामने हों तो मेरी नजरें भी नहीं उठती हैं। बस उन्हें देख कर चूतियों की तरह लण्ड पकड़ कर मुठ मार लेता था। ना ... चूतिया तो नहीं पर शायद इसे शर्म या बड़ों की इज्जत करना भी कहते हों।
एक रात को मैं इन्टर्नेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरे देख कर लेटा हुआ लण्ड को दबा रहा था। मुझे इसी में आनन्द आ रहा था। मुझे अचानक लगा कि दरवाजे से कोई झांक रहा है... मैं तुरन्त उठ बैठा, मैंने चैन की सांस ली।
भाभी थी...
"भैया, चाय पियेगा क्या..." भाभी ने दरवाजे से ही पूछा।
"अभी रात को दस बजे...?"
"तेरे भैया के लिये बना रही हूँ ... अभी आये हैं ना..."
"अच्छा बना दो ... !" भाभी मुस्कराई और चली गई। मुझे अब शक हो गया कि कहीं भाभी ने देख तो नहीं लिया। फिर सोचा कि मुस्करा कर गई है तो फिर ठीक है... कोई सीरियस बात नहीं है।
कुछ ही देर में भाभी चाय लेकर आ गई और सामने बैठ गईं।
"इन्टरनेट देख लिया... मजा आया...?" भाभी ने कुरेदा।
मैं उछल पड़ा, तो भाभी को सब पता है, तो फिर मुठ मारने भी पता होगा।
"हां अ... अह्ह्ह हां भाभी, पर आप...?"
"बस चुप हो जा... चाय पी..." मैं बेचैन सा हो गया था कि अब क्या करूँ । सच पूछो तो मेरी गाण्ड फ़टने लगी थी, कहीं भैया को ना कह दें।
"भाभी, भैया को ना कहना कुछ भी...!"
"क्या नहीं कहना... वो बिस्तर वाली बात... चल चाय तो खत्म कर, तेरे भैया मेरी राह देख रहे होंगे !"
खिलखिला कर हंसते हुए उन्होंने अपने हाथ उठा अंगड़ाई ली तो मेरे दिल में कई तीर एक साथ चल गये।
"साला डरपोक... बुद्धू ... ! " उसने मुझे ताना मारा... तो मैं और उलझ गया। वो चाय का प्याला ले कर चली गई। दरवाजा बंद करते हुये बोली- अब फिर इन्टर्नेट चालू कर लो... गुड नाईट...!"
मेरे चेहरे पर पसीना छलक आया... यह तो पक्का है कि भाभी कुछ जानती हैं।
दूसरे दिन मैं दिन को कॉलेज से आया और खाना खा कर बिस्तर पर लेट गया। आज भाभी के तेवर ठीक नहीं लग रहे थे। बिना ब्रा का ब्लाऊज, शायद पैंटी भी नहीं पहनी थी। कपड़े भी अस्त-व्यस्त से पहन रखे थे। खाना परोसते समय उनके झूलते हुये स्तन कयामत ढा रहे थे। पेटीकोट से भी उनके अन्दर के चूतड़ और दूसरे अंग झलक रहे थे। यही सोच सोच कर मेरा लण्ड तना रहा था और मैं उसे दबा दबा कर नीचे बैठा रहा था। पर जितना दबाता था वो उतना ही फ़ुफ़कार उठता था। मैंने सिर्फ़ एक ढीली सी, छोटी सी चड्डी पहन रखी थी। मेरी इसी हालत में भाभी ने कमरे में प्रवेश किया, मैं हड़बड़ा उठा। वो मुस्कराते हुये सीधे मेरे बिस्तर के पास आ गई और मेरे पास में बैठ गई। और मेरा हाथ लण्ड से हटा दिया।
उस बेचारे क्या कसूर ... कड़क तो था ही, हाथ हटते ही वो तो तन्ना कर खड़ा हो गया।
"साला, मादरचोद तू तो हरामी है एक नम्बर का..." भाभी ने मुझे गालियाँ दी।
"भाभी... ये गाली क्यूँ दी मुझे...?" मैं गालियाँ सुनते ही चौंक गया।
"भोसड़ा के ! इतना कड़क, और मोटा लण्ड लिये हुये मुठ मारता है?" उसने मेरा सात इन्च लम्बा लण्ड हाथ में भर लिया।
"भाभी ये क्या कर रही आप... !" मैंने उनक हाथ हटाने की भरकस कोशिश की। पर भाभी के हाथों में ताकत थी। मेरा कड़क लण्ड को उन्होंने मसल डाला, फिर मेरा लण्ड छोड़ दिया और मेरी बांहों को जकड़ लिया। मुझे लगा भाभी में बहुत ताकत है। मैंने थोड़ी सी बेचैनी दर्शाई। पर भाभी मेरे ऊपर चढ़ बैठी।
"भेन की चूत ... ले भाभी की चूत ... साला अकेला मुठ मार सकता है... भाभी तो साली चूतिया है ... जो देखती ही रहेगी ... भाभी की भोसड़ी नजर नहीं आई ...?" भाभी वासना में कांप रही थी। मेरा लण्ड मेरी ढीली चड्डी की एक साईड से निकाल लिया। अचानक भाभी ने भी अपना पेटिकोट ऊंचा कर लिया। और मेरा लण्ड अपनी चूत में लगा दिया।
"चल मादरचोद... घुसा दे अपना लण्ड... बोल मेरी चूत मारेगा ना...?" भाभी की छाती धौंकनी की तरह चलने लगी। इतनी देर में मेरे लण्ड में मिठास भर उठी। मेरी घबराहट अब कुछ कम हो गई थी। मैंने भाभी की चूंचियाँ दबाते हुये कहा,"रुको तो सही ... मेरा बलात्कार करोगी क्या, भैया को मालूम होगा तो वो कितने नाराज होंगे !"
भाभी नरम होते हुए बोली," उनके रुपयों को मैं क्या चूत में घुसेड़ूगी ... हरामी साले का खड़ा ही नहीं होता है, पहले तो खूब चोदता था अब मुझे देखते ही मादरचोद करवट बदल कर सो जाता है... मेरी चूत क्या उसका बाप चोदेगा... अब ना तो वो मेरी गाण्ड मारता है और ना ही मेरी चूत मारता है... हरामी साला... मुझे देख कर चोदू का लण्ड ही खड़ा नहीं होता है !"
"भाभी इतनी गालियाँ तो मत निकालो... मैं हूँ ना आपकी चूत और गाण्ड चोदने के लिये। आओ मेरे लण्ड को चूस लो !"
भाभी एक दम सामान्य नजर आने लग गई थी अब, उनके मन की भड़ास निकल चुकी थी। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड देख कर वो भूखी शेरनी की तरह लपक ली। उसका चूसना ही क्या कमाल का था। मेरा लण्ड फ़ूल उठा। उसका मुख बहुत कसावट के साथ मेरे लौड़े को चूस रहा था। मेरे लण्ड को कोई लड़की पहली बार चूस रही थी। वो लण्ड को काट भी लेती थी। कुछ ही समय में मेरा शरीर अकड़ गया और मैंने कहा,"भाभी, मत चूसो ! मेरा माल निकलने वाला है... !"
"उगल दे मुँह में भोंसड़ी के... !" उसका कहना भी पूरा नहीं हुआ था कि मेरा लण्ड से वीर्य निकल पड़ा।
"आह मां की लौड़ी... ये ले... आह... पी ले मेरा रस... भेन दी फ़ुद्दी... !" मेरा वीर्य उसके मुह में भरता चला गया। भाभी ने बड़े ही स्वाद लेकर उसे पूरा पी लिया।
भाभी बेशर्मी से अब बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत उघाड़ दी। उसकी भूरी-भूरी सी, गुलाबी सी चूत खिल उठी।
"चल रे भाभी चोद ... चूस ले मेरी फ़ुद्दी... देख कमीनी कैसे तर हो रही है !" तड़पती हुई सी बोली।
मुझे थोड़ा अजीब सा तो लगा पर यह मेरा पहला अनुभव था सो करना ही था। जैसे ही मुख उसकी चूत के पास लाया, एक विचित्र सी शायद चूत की या उसके स्त्राव की भीनी सी महक आई। जीभ लगाते ही पहले तो उसकी चूत में लगा लसलसापन, चिकना सा लगा, जो मुझे अच्छा नहीं लगा। पर अभी अभी भाभी ने भी मेरा वीर्य पिया था... सो हिम्मत करके एक बार जीभ से चाट लिया। भाभी जैसे उछल पड़ी।
"आह, भैया... मजा आ गया... जरा और कस कर चाट...!"
मुझे लगा कि जैसे भाभी तो मजे की खान हैं... साली को और रगड़ो... मैंने उसे कस-कस कर चाटना आरम्भ कर दिया। भाभी ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा मुख अपने दाने पर रख दिया।
"साले यह है रस की खान... इसे चाट और हिला... मेरी माँ चुद जायेगी राम... !" दाने को चाटते ही जैसे भाभी कांप गई।
"मर गई रे ! हाय मां की ... ! चोद दे हाय चोद दे ... ! साला लण्ड घुसेड़ दे !... मां चोद दे... हाय रे !" और भाभी ने अपनी चूत पर पांव दोहरे कर लिये और अपना पानी छोड़ दिया। ये सब देख कर मेरा मन डोल उठा था। मेरा लण्ड एक बार फिर से भड़क उठा।
भाभी ने ज्योंही मेरा खड़ा लण्ड देखा,"साला हरामी... एक तो वो है... जो खड़ा ही नहीं होता है... और एक ये है... फिर से जोर मार रहा है..."
"भाभी, मैंने यह सब पहली बार किया है ना... ! मुझे बार-बार आपको चोदने की इच्छा हो रही है !"
"चल रे भोसड़ी के... ये अपना लण्ड देख...साला पूरा छिला हुआ है... और कहता है पहली बार किया है !"
"भाभी ये तो मुठ मारने से हुआ है... उस दो रजाई के बीच लण्ड घुसेड़ने से हुआ है... सच...! "
"आये हाये... मेरे भेन के लौड़े ... मुझे तो तुझ पर प्यार आ रहा है सच ... साले लण्ड को टिका मेरे गाण्ड के गुलाब पर... मेरे चिकने लौण्डे !" भाभी ने एक बार फिर से मुझे कठोरता से जकड़ लिया और घोड़ी बन गई। अपनी भूखी प्यासी गाण्ड को मेरे लौड़े पर कस दिया।
"चल हरामी... लगा जोर ... घुसेड़ दे...तेरी मां की ... चल घुसा ना... !" मेरे हर तरफ़ से जोर लगाने पर भी लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था।
"भोसड़ी के... थूक लगा के चोद ...नहीं तो तेल लगा के चोद... वाकई यार नया खिलाड़ी है !" और भाभी ने अपने कसे हुये सुन्दर से गोल गोल चूतड़ मेरे चेहरे के सामने कर दिये। मैंने थूक निकाल कर जीभ को उसकी गाण्ड पर लगा दी और उसे जीभ से फ़ैलाने लगा। भाभी को जोरदार गुदगुदी हुई।
"भड़वे... और कर... जीभ गाण्ड में घुसा दे... हाय हाय हाय रे ... और जीभ घुमा... आह्ह्ह रे... गाण्ड में घुसा दे...बड़ा नमकीन है रे तू तो !" उसकी सिसकारियाँ मुझे मस्त किये दे रही थी।
"भाभी ... ये नमकीन क्या ?" मैंने पूछा तो वो जोर से हंस दी।
"तेरे लौड़े की कसम भैया जी ... जीभ से गाण्ड मार दे राम ..." मैंने भी अपनी जीभ को उसकी गाण्ड में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा। मैंने अपनी अपनी एक अंगुली उसकी चूत में भी घुसा दी। भाभी तड़प सी उठी।
"आह मार दे गाण्ड रे... उठा लौड़ा... मार दे अब...भोसड़ी के "
मैंने तुरंत अपनी पोजिशन बदली और और उसकी गाण्ड के पीछे चिपक गया और तन्नाया हुआ लण्ड उसकी गाण्ड की छेद पर रख दिया और जोर लगाते ही फ़क से अन्दर उतर गया।
"मदरचोद पेल दे... चोद दे गाण्ड ... साली को ... मरी भूखी प्यासी तड़प रही थी... चोद दे इस कमीनी को..."
मेरी कमर अब उसे चोदते हुये हिलने लगी थी। मेरा लण्ड तेजी से चलने लगा था। उसकी गाण्ड का छेद अब बन्द नहीं हो रहा था। जैसे ही मैं लण्ड बाहर निकालता, वो खुला का खुला रह जाता। तभी मैं जल्दी से फिर अपना लण्ड घुसेड़ देता... हां एक थूक का लौन्दा जरूर उसमें टपका देता था। फिर वापस से दनादन चोदने लगता था। बीच बीच में वो आनन्द के मारे चीख उठती थी। घोड़ी बनी भाभी की चूत भी अब चूने लग गई थी। उसमें से रति-रस बूंद बूंद करके टपकने लगा था। मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
"भोसड़ी के ...धीरे से... मेरी चूत तो अभी तो साल भर से चुदी भी नहीं है... धीरे कर !"
"ना भाभी... मत रोको... चलने दो लौड़ा...। "
" हाय तो रुक जा ... नीचे लेट जा... मुझे चोदने दे अब..."
"बात एक ही ना भाभी... चुदना तो चूत को ही है..."
"अरे चल यार... मुझे मेरे हिसाब से चुदने दे...भोसड़ी तो मेरी है ना..." उसके स्वर में व्याकुलता थी।
मेरे नीचे लेटते ही वो मुझ पर उछल कर चढ़ गई और खड़े लण्ड पर चूत के पट खोलकर उस पर बैठ गई। चिकनी चूत में लण्ड गुदगुदी करता हुया पूरा अन्दर तक बैठ गया। उसके मुख से एक आह निकल पड़ी। अब उसने मेरा लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर जोर लगा कर और भी गहराई में उतारने लगी। हर बार मुझे लण्ड पर एक जोर की मिठास आ जाती थी। उसके मुँह से एक प्रकार की गुर्राहट सी निकल रही थी जैसे कि कोई भूखी शेरनी हो और एक बार में ही पुरा चुद जाना चाहती हो। अब तो अपनी चूत मेरे लण्ड पर पटकने लगी... मेरा लण्ड मिठास की कसक से भर उठा। उसके धक्के बढ़ते गये और मेरी हालत पतली होती गई... मुझे लगा कि मैं बस अब गया... तब गया...। पर तभी भाभी ने अपने दांत भींच लिये और मेरे लण्ड को जोर से भीतर रगड़ दिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। चूत की रगड़ खाते ही मेरी जान निकल गई और मेरे लण्ड ने चूत में ही अपना यौवन रस छोड़ दिया...
उसकी चूत में जैसे बाढ़ आ गई हो। मेरा तो वीर्य निकले ही जा रहा था... और शायद भाभी की चूत ने भी चुदाई के बाद अपना रस जोर से छोड़ दिया था। वो ऊपर चढ़ी अपना रस निकाल रही थी और फिर मेरे ऊपर लेट गई। सब कुछ फिर से एक बार सामान्य हो गया...
"भाभी आपकी चुदाई तो ..."
भाभी ने मेरे मुख पर हाथ रख दिया,"अब नहीं ... गालियाँ तो चुदाई में ही भली लगती है...अब अगली चुदाई में प्यारी-प्यारी गालियां देंगे !"
‘सॉरी, भाभी... हां मैं यह पूछ रहा था कि जब आप को मेरे बारे में पता था तब आपने पहल क्यों नहीं की?"
"पता तो तुझे भी था... मैं इशारे करती तो तू समझता ही नहीं था... फिर जब मुझे पक्का पता चल गया कि तेरे मन में मुझे चोदने की है और तू मेरे नाम की मुठ मारता है तो फिर मेरे से रहा नहीं गया और तुझ पर चढ़ बैठी और मस्ती से चुदवा लिया।"
"भाभी धन्यवाद आपको ... मतलब अब कब चुदाई करेंगें...?"
"तेरी मां की चूत... आज करे सो अब... चल भोसड़ी के चोद दे मुझे...! " और भाभी फिर से मुझे नोचने खसोटने के लिये मुझ पर चढ़ बैठी और मुझे नीचे दबा लिया और मुझे गाल पर काटने लगी। मैं सिसक उठा और वो एक बार फिर से मुझ पर छा गई...

मेरी बुर से खून आ रहा था, मैं गिड़ गिड़ाने लगी कि वह मुझे छोड़ दे

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इतना बड़ा लंड


मैं आपको एक बड़े मस्त और निराले व्यक्ति से मिलवाता हूँ नाम है इनका बल्लभ लेकिन लोग इन्हे प्यार से बल्लू कहते है आगे की सच्ची घटनाएँ इनके मुह से ही सुनिए :-
जी मैं बल्लू हूँ मैं जब १८/१९ साल का छोकरा था तो मेरा लंड हरदम खड़ा रहता था कुदरत ने मेरे लौडे में बड़ी ताकत भर दी है साला बड़ी मुश्किल से शांत होता था मेरा मामा मेरे से दो साल बड़ा था हमदोनो बड़े गहरे दोस्त है एक रात हो हम दोनों एक ही पलंग पर नंगे बदन नेकर पहन कर लेट गए रात को जब मेरी नीद खुली तो मैंने देखा की मामा का लौडा नेकर के अन्दर उछाल मार रहा है खैर कोई खास बात नही क्योंकि मेरा भी टन्ना रहा था मैं वापस आक़र सो गया थोडी देर में वह उठा उसने मेरा खड़ा लंड देखा और बाथ रूम से आक़र मेरे नजदीक लेट गया फ़िर धीरे से मेरी जांघो पर हाथ फेरने लगा इससे मेरा लौडा और टन्ना गया फ़िर उसने ऊपर से ही लंड पकड़ लिया मैं समझ तो गया लेकिन चुप रहा फ़िर धीरे से मेरी नेकर खोल दी मैं नंगा हो गया उसने लंड पकड़ा और मुठीयाने लगा ख़ुद भी नंगा हो गया थोडी देर में अपने लंड को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू किया फ़िर दोनों को एक साथ मूठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगा वह समझ गया कि मैं जग रहा हूँ और मुझे मज़ा आ रहा है बोला यार बल्लू तेरा लौडा तो मेरे से बहुत बड़ा है मैंने कहा नही मामा तेरा लंड साला कम नही है अभी तो और बड़ा होगा यह कहकर मैंने उसका पकड़ लिया इस तरह हम दोनों एक दूसरे के लंड का मज़ा लेने लगे यह मेरा पहला अनुभव था लेकिन बड़ा मजेदार इसके बाद तो हमने कई बार एक दूसरे के लंड से लंड लड़ाया एक दूसरे का चूसा सड़का लगाया एक दिन वह बोला बल्लू तुम मेरी गांड मारो मैंने कहा मुझे गांड मारना नही आता है मामा बोला मैं तुमको सिखा दूंगा देखो लंड को खड़ा करके मेरी गांड के छेड़ के पास रखो फ़िर धीरे धीरे अन्दर करो वह अपने आप घुसने लगेगा फ़िर अन्दर बाहर अन्दर बाहर करते रहो बस हो गया गांड मारना उस दिन मैंने वैसा ही किया उसे तो मज़ा आया लेकिन मुझे कुछ खास नही उसने कहा अब तुम झुको मैं तुम्हारी गांड मारूंगा मैंने कहा मामा मैं गांड नही मरवाऊँगा मामा ने कहा अच्छा कोई बात नही लेकिन मेरी मारते रहना इस तरह हम दो नो कई वर्षों तक मौज करते रहे


ऐसा करते करते मुझे भी गांड मारने का थोड़ा स्वाद लग गया कुछ बरसों के बाद मामा की शादी हो गयी हमारा मिलना जुलना बहुत कम हो गया अचानक एक दिन वह बोला यार बल्लू तुम आज रात को मेरे घर आना मैंने कहा क्या कोई खास बात है उसने उत्तर दिया कोई खास नही लेकिन आना जरूर खैर मैंने बात मान ली और उसके पास चला गया उस दिन मामा और उनकी बीवी के अलावा घर में कोई नही था मामा बोला बल्लू यार आज तुम मेरी बीवी को मेरे सामने चोदो मैंने कहा अरे यह तुम क्या कह रहे हो उसने जबाब दिया देख भई मैं तो चोदता ही हूँ लेकिन उसे ज्यादा मज़ा नही आता क्योंकि मैं देर तक ठहर नही पाता वह बिचारी कसमसा कर रह जाती है तुम्हारा लंड पाकर वह मस्त हो जाएगी यार अगर उसने मुझे लात मार कर निकाल दिया तो मेरी बेज्जती हो जाएगी न बिल्लू बोला नही भई वह चुदवाने के लिए तैयार है मैंने उसे सब बता दिया है तब मैं मान गया और कहा अच्छा ठीक है उस रात को जैसे ही मामी ने मेरा लौडा पकड़ा वह हक्की बक्की रह गयी बोली अरे क्या लंड इतना बड़ा होता है ऐसा कहकर लंड चूसने लगी मुझे उनकी चूंचियों का मज़ा मिल रहा था सच बताऊँ वह मेरी ज़िन्दगी की पहली चुदाई थी पहले दिन ही मुझे बुर चोदने का स्वाद लग गया उस रात मैंने तीन बार जमकर चोदा मैं खुश था की पहलीबार एक मजे दार औरत को चोदा है मामी इसलिए खुश थी की उसे एक तगड़ा लौडा मिला और अपने हसबैंड के सामने पराये मर्द से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया मामा इसलिए खुश था की उसकी बीवी को चुदाई से बड़ी संतुष्टि मिली
कुछ दिन बाद मेरी भी शादी बिपासा नाम की लड़की से हो गयी से हो गयी बिपासा बहुत खूबसूरत थी बड़ी बड़ी ऑंखें गोल गोल गाल हँसती तो गाल में गड्ढे बन जाते ,गुन्दाज़ बाहें उभरे हुए चूतड और बड़ी बड़ी चूंचियां, चूंचियों का बनावट बड़ी मनमोहक थी उसे देख कर ही किसी का भी लौडा खड़ा हो सकता है लोग उसे प्यार से बिपी कहते थे सुहागरात में हमने खूब मज़ा लिया मुझे तो चोदने का अनुभव था ही खूब जम कर चुदाई किया उसने भी बेशरम होकर चुदवाने में कोई कसर नही उठा रखी हम दोनों बहुत खुश थे मेरे ससुर नही थे केवल जवान सास थी मेरी सास और मेरी बीवी दोनों माँ बेटी की तरह नही बल्कि दो सहेलियों की तरह रहती थी एक दिन जब मैं ससुराल गया तो मेरी सास ने खूब खातिर दारी और मेरा मेरा ख्याल रखा एक दिन अचानक मैं उस कमरे में घुसने वाला था जहाँ मेरी बीवी और सास आपस में बातें कर रही थी मैं कान लगा कर सुनने लगा
सास बोली:- बिपी अच्छा यह बता की दामाद जी का लौडा कैसा है
बिपासा :- अरे मम्मी बड़ा मोटा तगड़ा है खूब मज़ा आता है मुझे चुदवाने में
सास:- क्या तुम्हारे अंकल के लंड की तरह है ?
बिपासा :- नही मम्मी अंकल के लंड से ज्यादा लंबा और मोटा है
मम्मी:- तो देर तक चुदाई कर पाता है की नही ?
बिपासा :- हां बड़ी देर तक चोदता रहता है मुझे हर बार चुदाई का पूरा मज़ा देता है
मम्मी :- तो फ़िर मैं भी चुदवा लूँ अगर तुम बुरा न मानो तो
बिपासा :- अरे मम्मी दामाद तुम्हारा है जब चाहो चुदवा लो
उस रात को मैं थोड़ा परेशान तो हुआ मैंने बिपासा से पूंछा की असली बात क्या है उसने साफ साफ सारी कहानी बता दी
बिपासा :- देखिये मेरे पिता जी उस समय गुज़र गए थे जब मैं बहुत छोटी थी उसके बाद मेरे एक चाचा ने मेरे परिवार को संभाला मेरी मम्मी धीरे धीरे उनके नजदीक आती गयीं एक दिन मैंने उन दोनों को नंगे नंगे आपस में चिपटे हुए देख लिया मैं थोड़ा रुक गयी फ़िर मैंने देखा की मम्मी ने उसका लौडा पकड़ा लंड वास्तव में मोटा तगड़ा था फ़िर मुझे उन दोनों की चुदाई देखने में मज़ा आने लगा मैं छिप छिप कर देखती थी मैं चुप रहती थी जब मैं १५ साल की हो गयी तो अंकल मुझे भी अपनी गोद में बैठाने लगे और मेरी चूंचियों पर हाथ फेरने लगे एक दिन मैंने उसे मम्मी से कहते हुए सुना की देखो भाभी अब बिपी बड़ी हो रही है उसकी चूंचियां निकल आई है उसको लंड पकड़ना अभी से सिखला दो तो आगे चलकर बड़े मज़े से चुदवायेगी और अपने पति के साथ मज़ा लेगी मेरी मम्मी मान गयी उन्होंने मुझे आवाज़ दी मैं गयी उनदोनो को नंगे देख कर पहले मुझे शर्म तो आई लेकिन मैं जल्दी ही नार्मल हो गई मम्मी ने कहा बिपी नेरे पास आओ और मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ कर उनके लंड पर रख दिया मैंने पकड़ लिया जैसे ही मम्मी ने मुझे नंगा किया मैं बेशरम हो गयी मैं लंड को हिला रही थी फ़िर उसको मुह में लेकर चूसने लगी मैंने कहा अंकल भोसड़ी के तुम्हारा लौडा बड़ा मोटा है क्या सबका ऐसा ही होता है ? उसने जबाब दिया नही लंड सबका अलग अलग होता है अब मैं उनदोनो की चुदाई में हिस्सा बटाने लगी इसके बाद जब मेरी चूत प़क गयी तब मैंने भी चुदवाया मम्मी को भी लंड चाहिए था और मुझे भी अब मम्मी तुमसे चुदवाना चाहती है बोलो चोदोगे न ?
मैंने कहा जरूर लेकिन मैं भी तुमको बताना चाहूँगा की मैंने भी शादी के पहले एक औरत को कई बार चोदा है फ़िर मैंने मामा की गांड मारने की कथा और उसकी बीवी को चोदने की बात साफ साफ बता दी मेरी बीवी वजाय नाराज़ होने बहुत खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी बोली ये तो बहुत अच्छा है अब तुम मेरी मम्मी को चोदने वाले और मुझे चोदने वाले की बीवी चोदो और मैं तेरे मामा से चुदवा लूँ जिसकी तुम बीवी चोदते हो बस हम दोनों बराबर ठीक है न उस रात को मेरी सास मेरी बीवी और मैं तीनो थे वे दोनों एक दूसरे को नंगी करने लगी और मैं उन्हें देखने लगा सास की चूंचियां तो मेरी बीवी से ज्यादा बड़ी थी मेरा लौडा टन्ना रहा था मेरी बीवी बोली मम्मी अपने दामाद को नंगा करो न सास ने जैसे ही मेरी नेकर नीचे खींचा मेरा लौडा उछल कर उसके मुह के सामने आ गया सास तो लंड देख कर दंग रह गयी बोली अरे यह है कोई मर्द का लौडा आज ये मेरी चूत को फाड़ देगा बिपासा बोली मम्मी लौडा साला चाहे कितना बड़ा हो चूत तो उसको भरता बना ही देती है सास ने लंड को मुह में लिया और चूसने लगी बिपासा पेल्हड़ चाटने लगी फ़िर मैंने दोनों को बारी बारी से चोदा दूसरे दिन बिपासा ने कहा मम्मी अंकल और आंटी को बुलवा लो आज मेरा हसबैंड आंटी को खूब चोदेगा और हम दोनों अंकल से उसके सामने चुदवायेंगें वे दोनों जैसे ही आए एक छोटे से परिचय के बाद मैंने अंकल और आंटी दोनों को नंगा किया फ़िर ख़ुद हो गयी आंटी ने मेरे पति को नंगा करके उसका लंड थाम लिया बोली आरी बिपी तू तो बड़ी नसीब वाली है की तुझे इतना बड़ा लौडा मिला है बिपी ने कहा आंटी आज तक तो मुझे तेरा हसबैंड चोदता रहा पर आज तुमको मेरा हसबैंड चोदेगा इस बात पर मैंने आंटी से पूंछा की जब तुम्हारा पति मेरी बीवी व मेरी सास को चोदता था तो तुम क्या करती थी उसने जबाब दिया मैं भी उधर पराये मर्दों से चुदवाती थी इस तरह अश्लील बातें कर कर के मैंने आंटी की चूत का खूब मज़ा लिया
मेरी बीवी ने इस तरह मेरे सामने पराये मर्दों से चुदवाने का मज़ा लिया और मैंने उसके सामने परायी बीवियों को चोदने का मज़ा अब हम दोनों अदल बदली के खेल में बड़े बेशरम हो चुके थे मेरी बीवी को चूंची दिखाने का शौक पैदा हो गया
एक बार हमलोग दिल्ली से कोलकता ट्रेन से जा रहे थे फर्स्ट क्लास ये/ सी के डिब्बे में थे उसमे एक लड़का ऊपर की बर्थ पर लेटा था हम दोनों नीचे के बर्थ पर, रात के करीब ११ बजे थे लड़का एक किताब पढ़ रहा रहा था मेरी बीवी ने इशारे से कहा की क्या इसको पटाया जाए मैंने हां कर दी बस मेरी बीवी आधी चूंचियां खोल कर इस तरह बैठ गयी की उसे चूंचियां बिल्कुल साफ दिखायी पड़े उसने जैसे ही नज़र डाली तो देखता ही रह गया फ़िर उसने रात का बल्ब जला दिया किताब बंद कर दी और चूंचियों को देखने में मगन हो गया इतने में मेरी बीवी ने पूरी चूंची खोल दी मैं इस तरह लेट गया जैसे कि सो रहा हूँ मेरी बीवी ने उसे नीचे उतर कर चूंची पकड़ने का इशारा किया वह उतर आया और उसके बगल में बैठ कर चूंचियों पर हाथ फेरने लगा मेरी इच्छा उसकी गांड मारने कि हो गयी मेरी बीवी ने उसके लंड पर हाथ रखा तो उसे मज़ा आया उसने पहले अपना पेटी कोट खोला फ़िर उसको पूरा नंगा किया उसका लौडा पकड़ कर बोली अरे उठो उठो न देखो इसका भी लंड तुम्हारे लंड कि तरह मोटा तगड़ा है मैंने करवट बदली तो दोनों को नंगा पाया मैं भी एकदम नंगा हो गया उस लड़के ने झट से मेरा लंड पकड़ लिया और झुक कर चूसने लगा मैं समझ गया कि वह भी गांडू है मेरे मामा की तरह अब मेरी बीवी उसका लंड चूसने लगी मैं उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा थोडी देर में उसने मेरी बीवी को चोदा और मैंने उसकी गांड मारी पूरे सफर में इसी तरह मौज मस्ती करते हुए कोलकत्ता पहुँच गए उस लड़के का नाम था सोमित उसने दूसरे दिन हमें अपने घर डिनर पर बुलाया हम जब पहुंचे दो उसने अपनी बीवी सुनंदा से मिलवाया क्या जवान बीवी थी उसकी एक दम खूबसूरत उसकी चूंची मेरी बीवी से कम नही लग रही थी एकदम भरा हुआ बदन उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया उसने ड्रिंक पार्टी रखी थी हम चारों लोग शराब पीने लगे इतने में एक कपल और आ गया देव और उसकी बीवी दिव्या वे दोनों खूबसूरत थे सोमित ने परिचय करवाया और सबको ट्रेन के सफर कि कहानी सुनायी सबने शराब पीते पीते मज़ा लिया दिव्या बोली हां ये तो सही है कि सोमित का लौडा बड़ा मज़ा देता है सुनंदा बोली कि देव का लौडा कोई कम नही है मुझे तो उससे चुदवाने में खूब मज़ा आता है इस तरह अश्लील बातों का दौर चल पड़ा फ़िर सुनंदा सब के सामने सारे कपड़े खोल कर नंगी हो गयी उसको देखकर दिव्या भी नंगी हो गयी और मेरी बीवी भी, उन तीनो की चूंचियां एक से बढ़ कर एक थी वह कहना मुस्किल था कि किसकी ज्यादा बड़ी है उन्हें देखकर हमतीनो मस्त हो गए फ़िर दिव्या ने मुझे नंगा करके मेरा लंड पकड़ा बोली अरे ये तो अभी से खड़ा है साला सबसे बड़ा लगता है उधर देव का लंड सुनंदा ने पकड़ा और मेरी बीवी बिपासा ने सोमित का लंड
तीनो लौडे एक साथ देख कर मेरी बीवी बिपासा बोली हाय रे आज तो लगता है की लंड की दावत है देखो साले कैसे एक दूसरे की चूत खाने को तैयार है तब तक सुनंदा ने तीनो लंड नापे बोली अरे भोसड़ी के तीनो साले ८” से ऊपर है और मोटाई में ५” से कम नही है दिव्या ने कहा यार आज तो चूत की लाटरी खुल गयी इतना कह कर मेरा लांड चूसने लगी सुनंदा देव का लांड चूसने लगी और बिपासा सोमित का , अब बड़े मज़े से हम तीनो एक दूसरे की बीवियों को चोद रहे थे मैं कभी सुनंदा को चोदता कभी दिव्या को सोमित कभी दिव्या को चोदता कभी मेरी बीवी बिपासा को , और देव कभी सुनंदा को चोदता कभी बिपासा को दूसरी पारी में मेरी बीवी बोली अब हम तीनो बीवियाँ एक साथ दो दो लंड से चुदवायेंगी उसने देव का लंड और सोमित का लंड लिया एक चूत में दूसरा मुह में उधर मैं दोनों बीवियों यानि सुनंदा और दिव्या को एक साथ चोदने लगा फ़िर सुनंदा ने मेरा लंड और देव का लंड एक साथ लेकर चुदवाया और सोमित ने मेरी बीवी और दिव्या को एक साथ चोदा उधर थोडी देर में दिव्या ने दो लंड लिए मेरा और सोमित का और उसके पति देव ने बिपासा और सुनंदा को एक साथ चोदा
उस रात को चुदाई का जो मज़ा मिला उससे मुझे और मेरी बीवी को नए नए कपल ढूंढने की इच्छा को और बढ़ा दिया मेरी बीवी इसमे खुल कर पूरा सहयोग करती है वह मेरे सामने पराये मर्दों से चुदवा कर मज़ा लेती है और मैं उसके सामने परायी बीवियों को चोद कर इस समय हमारे पास ऐसे ८/१० जोड़े है जो बड़े प्यार से एक दूसरे की बीवियाँ चोदते है और बीवियाँ एक दूसरे के हसबैंड से चुदवाती है महीने में कम से कम २/३ बार ग्रुप में एक दूसरे की चोदा चोदी हो जाती है
एक साथ बड़े बड़े लंड और बड़ी बड़ी चूंचियों को देखने का मज़ा कुछ और ही है