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गुलाबी रस भरी चूत बड़ी प्यारी
प्रेषक : संजय
मेरा नाम संजय है, मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ता हूँ। आज मैं आप लोगों के लिए सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। मेरी उमर २० साल थी और मीना दीदी २२ साल की थी। मीना दीदी मेरे फ़ूफ़ा की लड़की है। फ़ूफ़ा बिज़नेस के सिलसिले में बाहर गए थे, घर में दीदी, फ़ूफ़ी और मैं ही थे।
गर्मी का महीना था, कोलकाता में गर्मी बहुत ज्यादा थी। रात को खाना खाकर हम लोग एक ही पलंग पर सो गए, दीदी बीच में फ़ूफ़ी फिर मै। मैं आप लोगो को बता दूँ कि मीना दीदी को कभी मैंने ग़लत नजरो से नहीं देखा।
मैं गहरी नींद में सो रहा था और सपना देख रहा था करीना कपूर की चूची दबाने का, कि अचानक मेरे मुँह पर कुछ जोर से गिरा और नींद खुल गई, लाईट बंद थी और अँधेरा था मुझे लगा कि मीना दीदी के दोनों पैर मेरे मुँह पर है। शायद फ़ूफ़ी को कोई परेशानी थी या गर्मी लग रही थी इसलिए वो नीचे चादर डाल कर सो गई थी।
मैंने अपने दोनों हाथों से दीदी के पैर हटाने चाहे तो पाया कि दीदी की टांगों पर कपड़ा नहीं था दरअसल रात को वो गर्मी के कारण पतली नाइटी पहन कर सोई थी, मैंने धीरे से उसके दोनों पैर अपने ऊपर से हटा कर बिस्तर पर कर दिए, करीना कपूर चूची दबाने का सपना ओर दीदी की नंगी टांगों के छूने से मेरा लंड में कसाव आने लगा और मेरी नीयत दीदी को छूने की होने लगी।
मैंने थोड़ी हिम्मत करके मीना दीदी की टांगों पर हाथ रखा और धीरे धीरे ऊपर की ओर हाथों को सरकाने लगा। कमर तक पहुँचा तो पाया नाइटी नहीं है पर पैंटी पहनी हुई है। मैंने हिम्मत करके उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा। हाय क्या नरम मुलायम चीज़ थी और मुझे आनंद का अनुभव हो रहा था। मेरा लंड तो तन कर ८" का हो गया।
मैं धीरे धीरे हाथ को ऊपर नाभि से लेकर छाती तक गया तो पाया कि नाइटी चूचियों के ऊपर ही है जिससे चूचियाँ ढकी है। मैंने धीरे से उंगलियों से नाइटी को हटाना शुरू किया और दीदी की चूचियाँ बाहर आ गई। मैंने धीरे धीरे सहलाना शुरू किया तो चूचियों के चुचूक कड़े होने लगे। मुझे लगा कि शायद दीदी की जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा है।
मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मन कर रहा था कि मैं दीदी की चूचियाँ पकड़ कर मसल दूं ! … लेकिन मैंने बड़े प्यार से दीदी के स्तन सहलाये… ओर नोकों को हौले हौले से पकड़ कर मसलते हुये घुमाया, अब मेरे इरादे बदलने लगे थे। मैंने अपनी टांगों से बार बार उसके चूतड़ों को छूना शुरू कर दिया। उसके पूरे के पूरे स्तन देखने को और दबाने को मिल रहे थे। फिर मैंने उसकी निप्पल को मुंह में ले लिया और धीरे से चूसने लगा।
अचानक मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल चुकी है और चुपके से सोने का बहाना कर रही हैं। मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। मैं भी अंजान बन कर निप्पल को धीरे से चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी पे ले आया। उसकी चूत बहुत गरम हो गई थी तो उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी ओर दीदी ने हलके से अपने पैरों को थोड़ा फैला दिया। मैंने दीदी की पैन्टी धीरे से नीचे खींच दी और पैन्टी को धीरे धीरे पैरों से अलग कर दिया और उसकी चूत पर हाथ रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा।
दीदी ने हलके से आपने पैरों को थोड़ा ओर फैला दिया। मैं उठ कर बैठा, उसने धीरे से खुद अपनी टांगे ऊपर कर ली, जिससे उसकी चूत खुल गयी। उसकी चूत देख कर मैं खुश हो गया । गुलाबी रस भरी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। उसकी चूत एक दम गुलाबी थी और चूत पर एक भी बाल नहीं था, उसकी चूत एक दम लाल सुर्ख हो गई थी ऐसी इच्छा हो रही थी कि उसकी चूत खा जाऊं।
मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं उसकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिये वो तिलमिला उठी मैने अपनी जीभ उसकी चूत के होठों पर रख दी। वो हल्के से सिसक पड़ी। होले होले मैं उसकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी। तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उसकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा।
उसकी सिसकियां बढ़ने लगी, वो अब बहाना छोड़ कर दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उसने अपने चूत का पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया। मैंने देखा कि वो हांफ रही है और मेरी तरफ़ देख रही है, मैं उसके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- "कैसा लगा तो दीदी ?"
तो उस ने कहा - 'हटो यहाँ से ! तुम्हारा मेरा रिश्ता क्या है ? तुम्हे पता है कि तुम क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी दीदी हूँ और यह सब पाप है !' मुझसे रहा नहीं गया मैंने फिर कहा- " इतनी देर मेरे साथ मज़ा लेकर अब कह रही हो कि यह सब पाप है ! मुझे तुमसे प्यार करना है तुम चाहो या न चाहो " बोल कर मैंने उसकी बांई चूची मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा और अपनी लुंगी खोल कर दीदी के ऊपर लेट गया, अपना लंड उसके जांघों के बीच रख लिया।
मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ को मीना के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा। उसके मुंह से ओह! ओह! अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को अपनी जांघों से बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी।
दीदी ने धीरे से कहा -'भाई धीरे धीरे से जो करना है करो ! तुम तो मान ही नहीं रहे हो ! मुझे तो डर है कि कही माँ जाग न जाए !
फिर उसने मुझे किस करना शुरु कर दिया मेरे होंटों को वो बुरी तरह से चूमने लगी। मैं भी जोश में आ गया, उसको किस करने लगा और उसको अपनी बाहों में दबाने लगा। उसने मुझे बेड पे लिटा लिया और मेरी दोनो टांगो के बीच बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी। मैं उसके मुलायम होठों को अच्छी तरह महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं किसी और दुनिया में हूं। मेरे जिस्म में चींटियां रेंगने लगी। उसने अपनी गति बढ़ा दी और जल्दी जल्दी लन्ड को चूसने लगी। थोड़ी देर में लन्ड से धड़ाधड़ पानी निकलने लगा जिसे उसने गड़प से पी लिया।
लन्ड कुछ देर शान्त बना रहा। मैं भी बेड पर निढाल सा पड़ा था।
वो उठ कर बोली- क्यों मर्द? … बस क्या?… या और कुछ करना है?
मैंने कहा- दीदी अभी तो पूरा रात बाकी है… बस एक मिनट… अभी तैयार हो जाता हूं !
वो हंसने लगी। मैं उससे लिपट गया, मैं उससे यूं लिपटा हुआ था जैसे उसके अन्दर ही समा जाउंगा। मैंने उसे बेड पे लिटा दिया। उसने खुद अपनी टांगे ऊपर कर ली, जिससे उसकी चूत खुल गयी। मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा। उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, अपनी मीना दीदी को चोदो ! दीदी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी।
मैंने पूछा- "दीदी तैयार हो क्या जन्नत की सैर करने के लिए?"
तो वो बोली- 'हाँ मेरे राजा भाई ! आज इस चूत की खुजली मिटा दो, साली रात भर सोने नहीं देती हैं।'
उस ने कहा- प्लीज़ जल्दी से अपना मोटा सा लण्ड मेरी चूत में डाल दो।
फिर अपने लण्ड उसकी चूत पे रख कर उसे रगड़ने लगा। वो तो मानो पागल हो उठी। उसने मेरे बॉल खींच लिए और धीरे से बोली प्लीज़ मुझे और मत तड़पाओ, और जल्दी से अपना लण्ड अंदर कर दो। मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया तो लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पे जा कर अटक गया। और वो दर्द से तड़प कर बोली- आ.....ह... उ....ई..... बाहर निकालो प्लीज़।
उसकी आँखों में आंसू आ टपके। लेकिन मैं तो पूरे जोश में था। मैंने उसे अपने बाजुओं में कस कर पकड़ा और धीरे से प्रेशर देने लगा। फिर मैं रुक गया क्योंकि उसकी चूत काफ़ी टाइट थी और मुझे भी महसूस हो रहा था। मैं बस उतना सा ही घुसा कर उसके स्तन को चाटने लगा। थोड़ी देर बाद वो खुद ही अपनी गांड धीरे धीरे उचकाने लगी।
मैं समझ गया कि अब उसका दर्द ख़त्म हो गया है और वो अब पूरा लण्ड अपनी चूत के अंदर चाहती है। मैंने कुछ सोचा और थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाल कर ज़ोर से धक्का मारा। फ़च्छ .... की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया था। और दीदी ने अपने होंटों को दबा कर रोना शुरू कर दिया। मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से ज़ोर से बंद किया और कहा कि अगर वो ज़ोर से चिल्लाएगी तो फ़ूफ़ी उठ जाएँगी और सारा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। उसकी आँखो से आंसू छलक पड़े, लेकिन उसने आवाज़ निकालनी कम कर दी।
मैंने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचा और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। वो अब मस्ती से कराहने लगी. आ....ह , उम्म...ह..., हाँ...... ऐसे ही ठीक है......
मैं लण्ड की अंदर बाहर करने की स्पीड धीरे धीरे बढ़ाने लगा। उसे अब मज़ा आने लगा था। वो भी अब पूरा साथ दे रही थी अपनी गांड हिला हिला कर। मैंने स्पीड और बढ़ा दी। १० मिनट के बाद उसका ऑर्गेज़्म हो गया था। मैं उसकी चूत की लहरें महसूस कर सकता था। उसकी चूत का पानी निकल कर पूरी बेड शीट पर फैल गया था। मैंने उसकी टाँगे और फैला ली और लंबे लंबे धक्के लगाने लगा। वो आँखें बंद करके कराह रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने भी उसकी चूत के अंदर ही ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। हम दोनो इसी तरह आधे घंटे तक लेटे रहे। फिर मैंने धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत से निकाला। वो काफ़ी टाइट से अटका था। फक्क की आवाज़ के साथ पूरा लण्ड बाहर आया तो उस पर मेरा वीर्य और थोड़ा खून भी लगा था। फिर दीदी धीरे से चुपचाप उठ कर चादर को लेकर बाथरूम चली गई।
दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी?
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